ग्वालियर। आपातकाल में जेल जाने वाले मीसाबंदियों की जांच का एक पार्ट प्रशासन ने पूरा कर लिया है। 82 लोगों के मामले में जो मीसाबंदी होने का दावा किया गया था, उसमें सिर्फ एक ही मीसांबदी पात्र पाया गया। वहीं 81 अपात्र निकले हैं। अब जो 121 मीसांबदी माने गए थे जिन्हें पूर्व में सम्मान निधि मिल रही थी,उनका सत्यापन अभी जारी है। इस जांच रिपोर्ट में भी पात्र मीसाबंदी की संख्या कम ही होने की उम्मीद है। 82 मीसाबंदी वाली जांच रिपोर्ट प्रशासन की ओर से हाईकोर्ट में पेश की जा चुकी है। इस मामले में कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर युनूस कुर्रेशी को नोटिस जारी किया है और बाबू रविंद्र राजपूत को सस्पेंड करने की कार्रवाई की है। वर्ष 1975 में 25 और 26 जून की रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल घोषित किया था। इसके बाद देशभर में जनसंघ, कम्युनिस्ट, समाजवादी आदि राजनीतिक विचारधाराओं के नेताओं, समाजसेवियों, साहित्यकारों आदि ने आपातकाल का विरोध किया था। विरोधियों को तब की सरकार ने बड़े स्तर पर गिरफ्तारियां कराई थीं। आपातकाल के विरोध में आंदोलन कर जेल जाने वाले विरोधियों को मीसाबंदी कहा जाता है। ग्वालियर में भी 25 जनवरी 1976 को दौलतगंज, महाराज बाड़ा, सराफा बाजार से लेकर यादव टॉकीज, नईसड़क तक विशाल जुलूस निकाला गया था। विरोध करने वाले लोगों को गिरफ्तार कर जनकगंज थाने लाया गया था और रात में थाने में रख अगले दिन कोर्ट में पेश कर उन्हें ग्वालियर सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया। यहीं विरोध कर रहे अन्य लोगों को भी गिरफ्तार करके रखा गया था। डेढ़ साल तक करीब जेल में बंद करके रखा गया था।
पहले शपथ पत्र की शर्त,अब सिर्फ जेल रिकॉर्ड
मीसाबंदियों को सम्मान निधि 25 हजार मासिक मिलने के बाद कई ऐसे नाम सामने आने लगे जो खुद को मीसाबंदी होने का दावा करते हैं। 2012 में पुलिस रिपोर्ट और साथ में जेल में रहने वाले कैदी का शपथ पत्र मान्य किया गया और इसके बाद 2017 में इसे खारिज कर दिया गया। अब सिर्फ जेल रिकॉर्ड के आधार पर ही मीसाबंदी की पात्रता है। 121 लोगों की जो जांच चल रही है उन्हें पहले पेंशन मिलती थी और अब उनका सत्यापन किया जा रहा है। इस मामले में कोर्ट कलेक्टर को हाल ही में 25 हजार के वारंट पर तलब भी कर चुका है।
सत्यापन पूर्ण होने वालों को मिले निधि
जिन लोगों के सत्यापन की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है उन लोगों को माननीय न्यायालय के आदेश के परिपालन में सम्मान निधि जारी करने के आदेश प्रशासन को जारी करना चाहिए। पात्रों को उनकी सम्मान निधि मिलना चाहिए।
मदन बाथम,राष्ट्रीय संयुक्त सचिव, लोकतंत्र सेनानी संघ