भंवरसिंह का शव 17 दिन से भारत लौटने के इंतजार में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री से भंवर सिंह को तत्काल भारत लाने की मांग
जयपुर । एक मृत व्यक्ति के शव को 17 दिन बाद भी अंतिम संस्कार के लिये इराक से भारत नहीं भेजा जा रहा है। इराक में राजस्थान के झुंझुनु निवासी भारतीय नागरिक भंवर सिंह शेखावत की वहीं पर मृत्यु हो चुकी है, और मृत्यु के 17 दिन बाद भी इराक सरकार शव को भी भारत भेजने के लिए तैयार नहीं है।
मूलतः झुंझुनू जिले के नार सिंघाणी गाँव के निवासी शेखावत का शव पिछले 17 दिनों से भारत वापसी के इंतजार में बगदाद चिकित्सालय में रखा हुआ है। इराक के नजफ शहर में फंसे हुए बूंदी निवासी भारतीय नागरिकों की वापसी के संदर्भ में जब युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव चर्मेश शर्मा की बगदाद भारतीय दूतावास से वार्ता चल रही थी, उस समय दूतावास ने शर्मा को यह जानकारी दी कि राजस्थान निवासी एक भारतीय नागरिक का शव पिछले कई दिनों से भारत नहीं भेजा जा रहा है। इराक सरकार मरे हुये व्यक्ति पर भी मनमाने कानून लगा रही है।
सुनकर अंदर तक हिल गया
एक भारतीय नागरिक की दिवंगत देह का इस प्रकार अपमान सुनकर शर्मा ने बताया कि वे यह सुनकर अन्दर तक हिल गये। इराक में फंसे हुए बूंदी के नागरिकों को लेकर भी जहां चिंता बढ़ गयी। वहीं भंवरसिंह शेखावत का पता लगाने के लिए बगदाद दूतावास में बात की तो पता चला कि वह राजस्थान में झुंझुनू जिले के रहने वाले है।
राष्ट्रपति, पीएम व विदेश मंत्री से कार्यवाही की मांग
जिंदा लौटने की आस थी लेकिन आई बुरी खबर
बगदाद दूतावास द्वारा दिये गये भंवर सिंह के परिजन विक्रम सिंह से बात करने पर पता चला कि 9 वर्ष पूर्व भंवर सिंह रोजगार के लिए इराक गए थे। उनके रिश्तेदार ने बताया कि उनको भारत भेजने के लिए इराक सरकार को एक हजार डॉलर की पेनल्टी भी हमने जमा करवा दी थी। वे दो दिन में भारत आने वाले थे। लेकिन इराक सरकार ने 2 दिन का नाम लेकर बीमार होने के बावजूद 10 दिन तक नहीं भेजा जाने से पहले ही इराक में उनकी मृत्यु होने का पता चला तो परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गयी। अब दिवंगत देह को भी भारत नहीं भेज रहे, ऐसे में परिवार का एक-एक पल काटना मुश्किल हो रहा है।
बगदाद हॉस्पिटल की मोर्चरी में रखा हुआ है शव
बगदाद भारतीय दूतावास की ओर से इस मामले को देख रहे कार्मिक ने बताया कि 17 दिन से भंवर सिंह शेखावत का शव बगदाद के पास चिकित्सालय की मोर्चरी में रखा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार भी अंतिम संस्कार प्रत्येक मृत व्यक्ति का सबसे बड़ा वैधानिक व प्राकृतिक अधिकार है,किसी को भी इससे वंचित नहीं किया जा सकता है।